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Showing posts from January, 2011

Wish you all A Very Happy Republic Day 2011

भारत हमको जान से प्यारा है सबसे न्यारा गुलिस्तान हमारा है सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है भारत मान की रक्षा में जीवन कुर्बान है भारत हमको जान से प्यारा है सबसे न्यारा गुलिस्तान हमारा है सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा । हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा   जय  हिंद  जय  भारत

What is India?

What is India?.?. A Nation where Pizza reaches home Faster than Ambulance & Police.. Where you get Car Loan @ 7% but Education Loan @ 12%.. Where Rice is Rs.40/kg but Sim card is free.. Where people worship Goddess Durga but want to kill their girl child.. Where Olympic shooter wins gold, govt. gives 3crore, Another shooter dies fighting with terrorist, govt pays 1 lakh.. Really, "INCREDIBLE INDIA by One of my frd
ये कैसी चली हवाएँ कन्हैया तेरे देश में तेरी गैया भूखी मर गयी कंन्हैया तेरे देश में। गावों में चोपाल नहीं है, मीठी बोली ताल नहीं है । चेहरे पर मुस्कान नहीं है कन्हैया तेरे देश में । दुनिया जैसे भाग रही है, चारों t अरफ आग लगी है। आग लगी है पैसे की! माँ की ममता, बहन का प्यार, सारे रिश्ते नाते छूटे कन्हैया तेरे देश में.... में ये सोचूं कहाँ आ गया, कैसी दुनिया कैसे लोग ? सूर्य उगा हो, चाँद खिला हो, मुझको दीखता घोर अँधेरा कोई भी अपना नहीं कन्हैया तेरे देश में ...... में आया था यहाँ ढूँढने प्यार, मुहब्बत और ख़ुलूस मैंने देखा यहाँ सिर्फ है - झूठों और मक्कारों का जुलूस । मेरी नैया मजधार में डूबी कन्हैया तेरे देश में...... ये कैसी चली हवाएँ कन्हैया तेरे देश में, तेरी गैया भूखी मर गयी कन्हैया तेरे देश में। पवन कुमार
आज कल सारी दुनिया इतनी मशरूफ है की कृष्ण की प्यारी गाय बेचारी की किसी को चिंता ही नहीं। वैसे तो जिधर देखो उधर वन्य जीवों पर चर्चा हो रही है व उन्हें बचने के लिए क्या क्या जतन और प्रयत्न किये जा रहे हैं और अगर गायें अगर हमारे रास्ते में आ जाती है तो हम कहते आवारा पशु सड़क पर तांडव करते हैं। तो हम उन्हें आवारा पशुओं का नाम दे देते हैं और प्रशाशन को कहते हैं की प्रशाशन इस बारे मैं कोई कदम नहीं उठा रहा है। इक तरफ हम गाय को माता का दर्जा देते हैं और दूसरी तरफ आवारा पशु। गौओं की भारत में हालत क्या हो रही है इस बारे में कोई नहीं कहता है गौएँ बिचारी गू खाकर गुजारा कर हरी हैं उन्हें कोई चारा देकर भी खुश नहीं है हैं इतना जरूर है है की कभी जभी यदा कदा किसी त्यौहार पर हम गुड या एक रोटी खिला कर खुश हो लेते हैं और भगवन और गौओं पर एहसान कर देते हैं। क्या कभी इनपर हम कभी गहन विचार करेंगे ? क्या वाकई गौ को गौ माता का दर्जा हम दे पाएंगे ?

Bulai Gai Radha Pyari

जिसके भाई सभी पहलवानी करें

उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें जिसके भाई सभी पहलवानी करें माना उससे कोई ख़ूबसूरत नही है कोई दिल कि जिसमें वो मूरत नहीं पसलियाँ एक हो जाएँ जिस प्यार में मुझको उस प्यार की अब ज़रूरत नहीं उसपे क़ुर्बान क्यों ये जवानी करें... जिसके भाई सभी पहलवानी करें हाथ पैरों से मोहताज़ हो जाऊँ मैं एक टूटा हुआ साज़ हो जाऊँ मैं इश्क़ के इस झमेले में क्यों ख़ामख़ा आई एम से आई वाज़ हो जाऊँ मैं मुफ़्त में क्यों फ़ना ज़िंदगानी करें... जिसके भाई सभी पहलवानी करें क्यों कहूँ झूठ मैं उनसे डरता नहीं ऐसी हिम्मत का दावा मैं करता नहीं उसके भाई कहीं ना मुझे देख लें उस मोहल्ले से भी मैं ग़ुज़रता नहीं उनके जूते मेरी मान-हानी करें... जिसके भाई सभी पहलवानी करें जिस पे ख़तरा हो उसपे क्यों ट्राई करें सबसे पिटते फिरें जग हँसाई करें उसके भाई जो ठोकें सो ठोकें मगर राह चलते भी मेरी ठुकाई करें अपनी काया से क्यों बे-ईमानी करें... जिसके भाई सभी पहलवानी करें बात करने का भी है नहीं हौसला बेहतरी है सुरक्षित रखें फ़ासला भाइयों कि पिटाई झिलेगी नहीं बस यही सोच के कर लिया फ़ैसला ख़त्म अपनी यहीं पर कहानी करें... जिसके भाई सभ

माचिस की डिब्बी डिब्बी में तीली

माचिस की डिब्बी डिब्बी में तीली बाहर-भीतर की यह आदत ज़हरीली । सिकुड़ी-सी लगतीं है इस घर में आँतें चौखट के बाहर हैं समता की बातें एक अदद प्राण और छः-छः दीवारें अफनाएँ अक्सर-हम पर किसे पुकारें ? तेजी का झोंका औ’ मंदी का दौर भर आईं फिर-फिर से आँखें सपनीली । रचनाकार=इष्टदेव सांस्कृत्यायन